संस्कार इंटरनेशनल स्कूल में ‘दादा-दादी उत्सव’’ मनाया
बरगढ़ आज संस्कार इंटरनेशनल स्कूल में ‘'दादा-दादी उत्सव’ मनाया गया। यह उत्सव दादा-दादी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए विद्यालय अपने स्थापना वर्ष से ही मनाते आ रहा है। इस उत्सव में दादा-दादी विद्यालय आकर बच्चों से मिलकर पुन: अपना बचपन याद कर भावुक हो जाते हैं। बुजुर्ग ही परिवार के नींव होते हैं और यदि नींव मजबूत और खुशहाल हो तो वो एक सभ्य समाज के निर्माण को प्रेरित करता है। इसमें संस्कार सैपलिंग के बच्चे की शामिल हुए। सभी बच्चे फैंसी ड्रेस के अंतर्गत दादा-दादी के अवतार में दिखाई दिए, उनके जैसे कपड़े , चश्मा , छड़ी और सफ़ेद बालों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके साथ ही इस सत्र में प्रवेश लेने वालों बच्चों का वेलकम सेरेमनी भी मनाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ नौनिहालों द्वारा गाए गए वेलकम सांग से शुरू हुआ, जो उन्होंने अपने दादा-दादी के प्रति सम्मान और प्यार प्रकट करने के लिए गाया। तत्पश्चात संस्कार सैपलिंग के ननिहालों को वेलकम कार्ड देकर उनका स्वागत किया गया, यूकेजी के बच्चों ने उत्साह से भरा एक सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया ।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी दादा-दादियों के लिए विद्यालय की ओर से उनके मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन किया गया जैसे-पुराने गीतों के धुनों को पहचानना, पुराने अभिनेता-अभिनेत्री को पहचानना, टोकरी में बॉल डालना इत्यादि की व्यवस्था की गई जिसका अभिभावकों ने जमकर लुत्फ उठाया । अभिभावकों ने भाव विभोर होकर अपने जीवन के अविस्मरणीय क्षणों को सबके साथ साँझा किया ।
कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि श्रीमती सावित्री देवी सावड़िया जी ने संस्कार इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों को वेलकम कार्ड देकर आशीष प्रदान किया। इसके साथ ही विद्यालय के चेयरमैन श्री सुमन सावड़िया जी, डायरेक्टर श्री अजीत पटनायक जी, प्रिंसिपल श्री करन साहू जी, डायरेक्टर श्री सिद्धार्थ सावड़िया जी, श्रीमती ममता अग्रवाल, श्रीमती मेघा सावड़िया, श्रद्धा सावड़िया, एकेडमिक कोऑर्डिनेटर श्रीमती सीमा साहू, कोऑर्डिनेटर श्रीमती ममता सिन्हा, कोऑर्डिनेटर सुश्री रीता नायक, प्री प्राइमरी कोऑर्डिनेटर श्रीमती मधुस्मिता शर्राफ, सैपलिंग कोऑर्डिनेटर जज्ञसिनी साहू, शिक्षकवृंद सहित मौजूद रहें। चेयरमैन चेयरमैन श्री सुमन सावड़िया जी ने कहा कि दादी-दादी बच्चों के पहले और सर्वाधिक प्रिय मित्र होते हैं । संस्कार,सभ्यता इन्हीं के द्वारा बच्चों को मिलता है, बच्चे दादा-दादी की गोद में पलकर कहानी सुनते ही बड़े होते हैं परंतु आजकल मोबाइल के कारण यह परंपरा क्षीण होती जा रही है। बच्चों को उनका बचपन जीने दें और दादा-दादी से प्रगाढ़ संबंध बनाने को प्रेरित करें। कार्यक्रम का समापन मधुस्मिता सर्राफ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करके किया गया।
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