विश्वनाथ लोहिया के आदर्शों को याद किया गया
समाजसेवी एवं चिंतक स्वर्गीय विश्वनाथ लोहिया की स्मृति में विश्वनाथ लोहिया जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन स्थानीय हिंदुस्तान क्लब में किया गया। इस अवसर पर सामाजिक संस्थाओं की भूमिका - परंपरा एवं वर्तमान स्थिति पर एक गोष्ठी भी आयोजित की गई।विभिन्न वक्ताओं ने स्वर्गीय लोहिया के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि वे स्वयं सिद्ध एवं स्वयं निर्मित व्यक्ति थे। वे साहसिकता एवं निर्भयता के साथ सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते थे। वे सामाजिक व्यक्ति थे एवं समाज सुधार के कार्यों में आजीवन अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। बांग्ला साहित्य एवं संस्कृति के प्रति उनका विशेष लगाव था एवं बंगला भाषियों में उनकी अच्छी पेंठ थी। वह गरीब अमीर में भेद नहीं रखत एवं उनका दरवाजा सबके लिए खुला रहता। धर्मानुरागी पण्डित मालीराम शास्त्री ने लोहिया जी के विभिन्न अवदानों की चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अकेले हावड़ा के बांधाघाट क्षेत्र में पुलिस अत्याचार से लगभग 100 भाडेतियों को पुलिस के अत्याचार से मुक्त करवाने में किस प्रकार से अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि लोहिया जी द्वारा कार्यकर्ताओं के साथ किए गए मधुर व्यवहार के कारण वे हमेशा याद किए जाएंगे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं आलोचक डॉक्टर शंभू नाथ ने लोहिया जी के विषय में अपने संस्मरण सुनाए एवं कहा लोहिया जी सामाजिक के साथ एक साहित्यिक व्यक्ति भी थे। उन्हें रामचरितमानस एवं अन्य साहित्यिक रचनाकारों के कृतियों का काफी स्मरण था एवं अपने वक्तव्य में उन रचनाओ के अंशो को शामिल कर श्रोताओं को प्रभावित करते थे। उन्होंने कहा कि लोहिया जी की सक्रियता के काल में हालांकि तकनीकी विकास कम था लेकिन वह सांस्कृतिक उन्नति का दौर था। हालांकि आज के दौर में हम तकनीकी रूप से प्रगति कर रहे हैं लेकिन हमारी संस्कृति की अवनति हो रही है। साथ ही उस समय व्यवसाय के साथ में सेवा भाव और नैतिकता की मान्यता थी। 1932 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित संस्था हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर शंकर कुमार सान्याल ने लोहिया जी के साथ अपने संबंधों के बारे में बताते हुए कहा कि हमें सदैव ही उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। वे एक सामाजिक सचेतन व्यक्ति थे एवं हर प्रकार से समाज की सेवा में अपने को तत्पर रखते थे। ऐसे कई मौके आए जब हमें उनके मार्गदर्शन से लाभ मिला। सामाजिक संस्थाओं के बारे में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के प्रथम सभापति घनश्यामदासबिडला थे। कालांतर में दीदी निर्मला देशपांडे ने भी अध्यक्षता का पद संभाला था। आज इस संस्था को अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति मिल रही है। उन्होंने अपने अध्यक्षता काल के 12 वर्षों की गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर फल दिया कि स्वर्गीय लोहिया के आदर्शों को हमें समाज में प्रचार प्रसारित करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।
समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री विविश्वभर नेवर ने अपने वक्तव्य में लोहिया जी संबंधित अपने संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि लोहिया जी एक 'विद्रोही' समाजसेवी थे। समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं विसंगतियों पर वे तीखा प्रहार करते थे । एक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार उनके विस्तृत परिवार में मृतक बिरादरी भोज का आयोजन करने की जब बात हुई तो उन्होंने इसका विरोध किया। जब परिवार वाले नहीं माने तो उन्होंने वहां पर एक प्रदर्शन करने की भी ठानी और इसके लिए उन्होंने समाज मे समान विचार वाले लोगों से संपर्क किया। किंतु बाद में स्थिति बिगड़ने से बच गई। अपने दीर्घ कार्यकाल में लोहिया जी ने सामाजिक मूल्यों को समाज में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। साथ ही साथ गौ सेवा और गो संवर्धन के कार्यों में भी कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी के विभिन्न पदों पर रहकर उन्होंने अतुल्य सेवा की। जिन आदर्शों एवं मूल्य के लिए स्वर्गीय लोहिया जी ने आजीवन संघर्ष किया उन मूल्यों को आज समाज में स्थापित करने की आवश्यकता सबसे अधिक है।
समाजसेवी शिवकुमार लोहिया ने कहा कि लोहिया जी में किताबों का ज्ञान, जीवन का अनुभव, अंदर का जोश, बाहर का साहस, बेबाक बयानी समाज की चिंता समाहित था । उन्होंने निष्ठा के साथ समाज की सेवा की एवं समाज में भी अपने प्रगतिशील सोच के कारण जाने जाते थे। उन्होंने हिंदी बांग्ला अंग्रेजी एवं राजस्थानी भाषा के साहित्य का पठद-पाठन किया था। सामाजिकता के साथ-साथ साहित्यिक अभिरुचि के वे धनी थे। उनका दरवाजा सभी के लिए हमेशा खुला रहता था। अपने मधुर व्यवहार लगन, निष्ठा एवं समर्पण के कारण अपने जीवन काल में स्वयं में ही एक संस्था बन गए थे। लोग उन्हें प्रमुख से हावड़ा नरेश कहते थे एवं कोई भी आवश्यकता पड़ने पर उनसे मार्गदर्शन एवं सहयोग पाते थे। उन्होंने कहा आज इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि जिन आदर्शो पर उन्होंने अपने जीवन में बल दिया आज उन आदर्शों का सर्वथा भाव दिख रहा है और उन आदर्शों को स्थापित करना समाज का एक बहुत बड़ा दायित्व है। इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ प्रोफेसर (डॉक्टर) शंकर कुमार सान्याल को 'विश्वनाथ लोहिया स्मृति समाज सेवा सम्मान' से विभूषित किया गया। श्री लक्ष्मी चंद अग्रवाल ने भी अपने वक्तव्य रखा। कार्यक्रम का संचालन श्री कैलाशपति तोदी ने किया।
समारोह में संजय गोयनका, अरुण चूड़ीवाल, कृष्ण कुमार लोहिया, हरि कृष्ण प्रसाद, शिवकुमार बागला, विनीत मेहता, सुरेंद्र तुलस्यान,आत्माराम संथालिया, संतोष सराफ, अरुण सुरेका, नैना मोर, जुगल जाजोदिया, रमेश कुमार बूबना, नरेंद्र कुमार तुलस्यान,महावीर मनकसिया, प्रदीप अग्रवाल, विश्वनाथ भुवालका, डॉक्टर विजय केजरीवाल प्रदीप सिंघानिया, सोमा जायसवाल, ओमप्रकाश झुनझुनवाला, पवन जालान, केदारनाथ गुप्ता सुशील पोद्दार, प्रदीप लोहारूका,मोती सागर तिवारी, संतोष कनोडिया, जयप्रकाश सेठिया,गौरांग भट्ट, महेंद्र अग्रवाल, भगवान दास अग्रवाल, अमित मुंद्रा, प्रमिला शाह, अजय अग्रवाल एवं अन्य गण्यमान व्यक्ति उपस्थित थे।