*चैत्र मंगलवार पर मां समलेश्वरी की शीतला यात्रा संपन्न*
बरगढ़ शहर की अधिष्ठात्री देवी मां समलेश्वरी की शीतला यात्रा का आयोजन चैत्र महीने के मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया। इस परंपरागत आयोजन में मां समलेश्वरी की स्वरूप निम्ब डाली को नगर में शोभायात्रा के रूप में निकाला गया। श्रद्धालुजन अपने घरों के सामने खड़े होकर मां के स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हुए संपूर्ण जगत के मंगल की कामना की।
चैत्र महीने में हर मंगलवार को मां समलेश्वरी की शीतला यात्रा का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस यात्रा के माध्यम से गर्मी के प्रकोप को शांत करने और रोगों से मुक्ति की कामना की जाती है। इस धार्मिक परंपरा में मां समलेश्वरी की निम्ब डाली को घंट-शंख की ध्वनि के साथ नगर भ्रमण कराया जाता है।भक्तगण अपने घरों के सामने गरिया में पानी, दूध और फूल लेकर खड़े रहे और जैसे ही मां उनके द्वार पर पहुंचने पर फूल, सिंदूर और भोग अर्पित करते हैं। इसके पश्चात पवित्र जल को मां की निम्ब डाली पर अर्पित कर उस जल को अपने मस्तक पर छिड़ककर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । मान्यता है कि प्राचीन काल में जब गर्मियों में महामारी और बीमारियां फैलती थीं, तब चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में लोग मां समलेश्वरी की शरण में जाते थे। मां के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और रोगों से मुक्ति की प्रार्थना करने के लिए शीतला यात्रा निकाली जाती थी। यह विश्वास है कि मां समलेश्वरी के आशीर्वाद से नगरवासियों को स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।शीतला यात्रा के दौरान निम्ब डाली को नगर के हर गली, मोहल्ले और मुख्य मार्गों में लेकर जाते हैं और मार्ग में आने वाले हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना भी किया जाता है। यह यात्रा रात देर तक संपन्न कर अंत में निम्ब डाली को एक विशेष स्थान पर छोड़ दिया जाता है। मान्यता है कि यह निम्ब डाली पूरे नगर से रोग-व्याधि और नकारात्मक ऊर्जा को समेटकर उस स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जिससे आगे किसी भी प्रकार की बाधा या रोग का शहर में प्रवेश न हो सके।
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