*स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों का आंदोलन जारी, सरकारी योजनाएं प्रभावित*
बरगढ़ : "तुम्हें तो संभालना नहीं आता, फिर योजना पर योजना क्यों बना रहे हो?" इसी सवाल के साथ ओडिशा स्वास्थ्य मिशन संचालन कर्मचारी संघ ने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। भुवनेश्वर में 10 मार्च से अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संचालन पद को सृजित किया जाए और उन्हें स्थायी नियुक्ति दी जाए।जिसमें बरगढ़ जिले से 117 कर्मचारी इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। आज आंदोलन का 11 वां दिन है, और इसका सीधा असर स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं पर पड़ रहा है।
आंदोलन के कारण गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण, टीबी, कुष्ठ और हेपेटाइटिस-बी की दवाओं का वितरण, आशा कार्यकर्ताओं का वेतन भुगतान और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाएं ठप पड़ी हैं।इसके अलावा, मलेरिया उन्मूलन, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और रक्तहीनता की जांच जैसे अभियानों पर भी असर पड़ा है। सरकारी अस्पतालों में सफाई व्यवस्था भी प्रभावित हुई है।आंदोलन के चलते विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रुकी हुई है। एन आरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में भर्ती बच्चों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता बाधित हो रही है। साथ ही नि:शुल्क जांच योजनाओं के लिए आवश्यक किट्स की खरीद में भी बाधा आ रही है।स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने 3 मार्च से 9 मार्च तक काला बिल्ला लगाकर काम किया। लेकिन 10 मार्च से उन्होंने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक आंदोलन जारी रहेगा।सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस पहल न होने के कारण जनता को स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगें पर ध्यान नहीं दिया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
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