*भागवत कथा हरि मिलन का मार्ग दिखलाती है: महंत सच्चिदानंद शास्त्री*
बरगढ़ श्री गौरीशंकर परिसर में प्रारम्भ हुए श्रीमद्भागवत सप्ताह के पहले दिन महामंडलेश्वर महंत श्री सच्चिदानंद शास्त्री,श्रीधाम वृन्दावन ने व्यास-नारद संवाद, परीक्षित जन्म,श्री शुकदेव जी का आगमन,सृष्टि वर्णन आदि की कथा का वर्णन व्यास पीठ से किया। 24 सितंबर से 30 सितंबर तक आयोजित भागवत में यजमान निधुवन बिहारी प्रसाद पंडा परिवार द्वारा पितृ मोक्षार्थ किया जा रहा है।भागवत कथा में दूसरे दिन महंत शास्त्री राजा परीक्षित श्राप,व्यास नारद संवाद,शिवपार्वती विवाह और शुकदेवजी के आगमन की कथा सुनाएंगें। तृतीय दिवस भगवान शिव पार्वती का विवाह,हिरण्यकश्यप वध झांकी व चौथे दिन कृष्ण जन्म सम्पन्न होगा।कथा व्यास से उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है।भागवतकथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि मिलन का मार्ग दिखलाती है।उन्होंने भागवत कथा को भगवान से मिलने का मार्ग बताया व ज्यादा से ज्यादा लोगों को कथा सुनने आने हेतु प्रेरित किया। श्रीकृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में नन्दोत्सव, बाल लीला, वृन्दावन लीला गिरिराज पूजन (छप्पन भोग), रास लीला ,मथुरा गमन, कंस वध, गोपी - उद्धव संवाद, रुक्मिणी विवाहोत्सव, द्वारिका लीला,सुदामा चरित्र, नव योगेश्वर प्रसंग, श्रीकृष्ण- उद्धव संवाद परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों पर महाराज श्री विस्तृत व्याख्यान देंगे ऐसा प्रमुख प्रबंधक फ़क़ीरमोहन मिश्र व पंचानन मिश्र ने बताया।
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