प्रकृति कुछ सिखाती है
मानव जीवन को जो महत्वपूर्ण सीख प्रकृति प्रदान करती है, वह सीख फिर कभी कहीं से सीखने को नहीं मिल पाती| यह संपूर्ण प्रकृति अपने आप में एक विश्वविद्यालय ही है, बस हमारे भीतर उससे कुछ सीखने की कला होनी चाहिए| यदि खेतों में बीज ना डाला जाए तो प्रकृति उसे स्वतः घास-फूस और झाड़ियों से भर देती है|
ठीक उसी प्रकार से यदि मन-मस्तिष्क में अच्छे एवं सकारात्मक विचार ना डाले जाएं तो बुरे एवं नकारात्मक विचार उसमें स्वतः अपनी जगह बना लेते हैं| मानव मस्तिष्क में प्रतिदिन कुछ श्रेष्ठ एवं सकारात्मक विचारों का आदान-प्रदान होते रहना चाहिए| जिस दिन हमारे जीवन में कुछ श्रेष्ठ आना बंद हो जाता है, उसी दिन से जीवन में धीरे-धीरे नकारात्मकता का प्रवेश भी प्रारंभ हो जाता है|
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